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बस चाय तक !, सीझन-2, भाग-19, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज २०२२ भाग-३८

बस चाय तक !, सीझन-2, भाग-19, नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज २०२२ भाग-३८

श्री राम की बहन

हेल्लो दोस्तो, बहुत दिनो के बाद हमारी मुलाकात हो रही है। इसिलिये प्रभु श्री राम से ही शुरुआत करते है। भारत वर्ष मे शायद ही कोइ होगा जो रामायण के बारे मे न जानता हो और प्रभु श्री राम को न पहचानता हो। राजा भरत, राजा दशरथ, माता कौशल्या, माता कैकेयी, माता सुमित्रा, भ्राता भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण....प्रभु श्री राम के परिवार के बारे मे हम सब जानते है।
 
लेकिन क्या हम प्रभु श्री राम की बहन को जानते है ?....शायद बहुत लोगो को ये जानकारी होगी और बहुत लोगो को नही होगी।
 
जी हा....दोस्तो...प्रभु श्री राम को एक बहन भी थी और वो भी बडी बहन। यानी चार भाइओ मे सब से बडी बहन थी। अगर जानकारी न हो तो चलिये आज चाय के साथ परिचय करते है प्रभु श्री राम की बडी बहन.....शांता के बारे मे....।

पुराणो के अनुसार शांता माता कौशल्या और महाराजा दशरथ की प्रथम संतान थी। एक बार माता कौशल्या की बहन वर्षिणी अपने पतिदेव रोमपद के साथ अयोध्या आइ हुइ थी। उन दिनो मा वर्षिणी नि:संतान थी। पुत्र से वंचित इस दंपति का का ये दु:ख राजा दशरथ और माता कौशल्या इन दोनो से देखा नही गया। इसिलिये उन्होने अपनी पुत्री शांता को वर्षिणी और राजा रोमपद को गोद दे दिया। राजा रोमपद और वर्षिणी अपने देश अंगदेश वापस गये। बाद मे शांता अंगदेश की राजकुमारी भी बनी थी। 

वह वेदों, कलाओं, शिल्पों के साथ-साथ युद्धकला में भी शिक्षित थी और उसे बहुत सुंदर माना जाता था। एक दिन, जब उसके पिता, राजा रोमपद, शांता के साथ बातचीत में व्यस्त थे, एक ब्राह्मण वर्षा के दिनों में खेती में मदद माँगने आया। रोमपद ने ब्राह्मण की दुर्दशा पर ध्यान नहीं दिया। इससे ब्राह्मण चिढ़ गया और क्रोधित हो गया, जिसने राज्य छोड़ दिया। वर्षा के देवता इंद्र अपने भक्त का अपमान सहन करने में असमर्थ थे, इसलिए वर्षा के मौसम में बहुत कम वर्षा हुई, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में सूखा पड़ा। इस बीच, दशरथ चाहते थे कि एक पुत्र उनकी विरासत को जारी रखे और उनके शाही वंश को समृद्ध करे। यह सलाह दी गई थी कि दोनों राज्यों की परेशानियों को केवल एक ब्राह्मण द्वारा किए गए यज्ञों द्वारा ही कम किया जा सकता है, जो कि पूर्ण शुद्धता के पालन से आती हैं और ऐसा एकमात्र व्यक्ति ऋष्यशृंग था।

ऋष्यशृंग का पालन-पोषण विभांडक ऋषि ने किया था, जो महिलाओं के ज्ञान के बिना समाज से अलग-थलग थे। उसे शहर में लाया जाना था और आवश्यक यज्ञ समारोह करने के लिए राजी किया जाना था। विभांडक ऋषि की शक्ति और क्रोध के अपने डर के बावजूद, दोनों राजा शांता को ऋष्यशृंग को सामान्य समाज से मिलाने के लिए भेजते हैं, फिर शांता इस कार्य को पूरा करती है और ऋष्यशृंग शांता से शादी कर लेता है, फिर वह अंग के लिए यज्ञ करने के लिए सहमत हो जाता है, इसके पाठ के दौरान भारी बारिश हुई, जनता ने खुशी मनाई और अंग में त्योहार थे।

शांता सभी कामो मे निपुण हुवा करती थी और बुध्धिमान भी उतनी ही थी। शांता का विवाह ऋषि श्रुंगा से हुवा था। ये वही ऋषि थे  जिन्होने राजा दशरथ को पुत्र के लिये पुत्रेष्टि यज्ञ करने को कहा था। इस यज्ञ के परिणाम स्वरुप राजा दशरथ को चार संतानरुपी भगवान श्री राम, भरत, शत्रुघ्न और लक्ष्मण की प्राप्ति हुइ थी। 
कर्नाटक के श्रृंगेरी के पास एक छोटे से शहर किग्गा में एक मंदिर है, जहां श्रृंग ऋषि और देवी शांता की मूर्तियों की पुजा की जाती है। कहा जाता है कि शांता ने राजा दशरथ को उनकी मृत्युशय्या पर पाला था।

यह भी कहा जाता है की हिमाचल प्रदेश के कुल्लु मे ऋषि श्रुंगा का आज भी मन्दिर है और वहा आज भी उन की और प्रभु श्री राम की बहन शांता की पुजा की जाती है।
चलिये चलता हु....आप सब भी प्रभु श्री राम का नाम लेकर चाय ले और बोलते जाइये...जय श्री राम...
..।
# नॉन स्टॉप राइटिंग चेलेन्ज २०२२ भाग-

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5 Comments

sunanda

14-Mar-2023 05:53 PM

nice

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PHOENIX

27-Jan-2023 12:59 PM

Thanks

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अदिति झा

26-Jan-2023 08:05 PM

Nice part 👌

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